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Showing posts from August, 2011
ना लो सब्रे-इम्तेहान अवाम का, गर चिंगारी शोला बन गयी तो, संभाल ना पाओगे........... क्यों कर हवा दे रहे हो इसे, इस आग में खुद ही जल जाओगे.... लटक रहा दारो-रसन अब तुम्हारे ऊपर, कब तक इससे खुद को बचा पाओगे.... देख  लो  अवामे-ज़ारहिय्यत, चले जाओ कि, खानखाह में ही अब तुम बच पाओगे....... (  दारो-रसन : सूली व् फाँसी की रस्सी, ज़ारहिय्यत : गुस्सा , खानखाह : वे गुफाएं जहाँ ईश्वर की इबादत में समय बिताया जाता है ) -रोली....   

जागो भारत जागो.....

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एक जंग है, है एक समर, चल पड़ी क्रांति की लहर, गाँव-गाँव और नगर-नगर बह रही चेतना की बयार.. अब जो ना जागे तो कब जागोगे....................!!! एक युग के तम के बाद ,   उम्मीद उसने जगाई है, मुर्दों की इस बस्ती में इक, चिंगारी भड़काई है.. अब जो ना जागे तो कब जागोगे.....................!!! देह भले ही हो दुर्बल, फौलाद से उसके इरादे हैं,  औरों से और खुद से भी, किये उसने कुछ वादे हैं, भ्रष्टाचार के दानव का, अंत करने की शपथ उठाई है, अन्ना नाम की भारत में, चल रही आज पुरवाई है... अब जो ना जागे तो कब जागोगे.....................!!! अब जो ना जागे तो कब जागोगे.....................!!! -रोली...
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 कान्हा संग लगा के प्रीत हार बैठी मन  अपना.... अब जो देखूँ  पिया को भी.. नज़र आये बैरी कान्हा... रोज़ करती थी श्रृंगार रुच-रुच जब मंदिर में, कान्हा की भोली सूरत हर गई मोरा मनवा , अब ना भाये कोई रंग, बस भाये रंग सांवरा, राधा,मीरा,रुक्मणी से, जले मन बावरा.. चहुँ ओर अब आये नज़र, मेरा मनभावना, मेरा सलोना-सांवला, नज़र आये बैरी कान्हा... -रोली.... कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर मेरे सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनायें _/\_