सन्देश
मंत्री जी ने सन्देश दिया है..
जनता से एक वादा लिया है..
न खेलेंगे पानी से होली...
न बरसाएंगे रंग...
लगा के अबीर-गुलाल का टीका
मनाएंगे होली जनता के संग...
मंत्री जी ने सन्देश दिया है..
हम सबसे वादा लिया है...
जल बिन नहीं है जीवन
न करो इसे व्यर्थ,
बचाओ इसकी हरेक बूँद
हम सबसे वादा लिया है...
न पियो मदिरा या भांग
न करो नशा अपनों के संग..
ये डालता है त्यौहार के
रंग में भंग...
जनता मंत्री जी से इम्प्रेस हो गयी
मतवालों कि टोली डिप्रेस हो गयी,
वादा आखिर वादा है...
होली का शुभ दिन आया
जनता ने वादा निभाया..
अबीर-गुलाल ले जनता पहुंची
मंत्री जी के द्वार..
मंत्री जी नदारद थे..
खबर मिली अपने फार्म हाउस पर
लेकर पानी से भरे दो टेंकर
मंत्री जी मना रहे हैं होली........
जनता आक्रोशित हुयी...
अचानक मंत्री जी के घर में
कुछ हलचल हुयी
लाल बत्ती लगी गाड़ियों
के सायरन लगे चीखने
आक्रोशित जनता शांत हो उत्सुक हो गयी..
फिर खबर आई
मंत्री जी के पुत्र ने
नशे में गाडी से जनता के एक जन को
कुचल दिया.....
पुत्र भी घायल है...
भीड़ में हलचल है ....
आक्रोशित, शांत, उत्सुक जनता
दुखी हो गयी........
एक अपने की मृत्यु से..
और एक घायल मंत्रीपुत्र कि चिंता में...
जनता दुखी हो गयी.........
मंत्री जी से किया वादा निभाया
वादा आखिर वादा था...
न पानी बहाया न रंग बरसाया...
एक अपने का खून बहाया...
यूँ जनता ने अबीर-गुलाल औ रक्त से
होली का त्यौहार मनाया....
जनता से एक वादा लिया है..
न खेलेंगे पानी से होली...
न बरसाएंगे रंग...
लगा के अबीर-गुलाल का टीका
मनाएंगे होली जनता के संग...
मंत्री जी ने सन्देश दिया है..
हम सबसे वादा लिया है...
जल बिन नहीं है जीवन
न करो इसे व्यर्थ,
बचाओ इसकी हरेक बूँद
हम सबसे वादा लिया है...
न पियो मदिरा या भांग
न करो नशा अपनों के संग..
ये डालता है त्यौहार के
रंग में भंग...
जनता मंत्री जी से इम्प्रेस हो गयी
मतवालों कि टोली डिप्रेस हो गयी,
वादा आखिर वादा है...
होली का शुभ दिन आया
जनता ने वादा निभाया..
अबीर-गुलाल ले जनता पहुंची
मंत्री जी के द्वार..
मंत्री जी नदारद थे..
खबर मिली अपने फार्म हाउस पर
लेकर पानी से भरे दो टेंकर
मंत्री जी मना रहे हैं होली........
जनता आक्रोशित हुयी...
अचानक मंत्री जी के घर में
कुछ हलचल हुयी
लाल बत्ती लगी गाड़ियों
के सायरन लगे चीखने
आक्रोशित जनता शांत हो उत्सुक हो गयी..
फिर खबर आई
मंत्री जी के पुत्र ने
नशे में गाडी से जनता के एक जन को
कुचल दिया.....
पुत्र भी घायल है...
भीड़ में हलचल है ....
आक्रोशित, शांत, उत्सुक जनता
दुखी हो गयी........
एक अपने की मृत्यु से..
और एक घायल मंत्रीपुत्र कि चिंता में...
जनता दुखी हो गयी.........
मंत्री जी से किया वादा निभाया
वादा आखिर वादा था...
न पानी बहाया न रंग बरसाया...
एक अपने का खून बहाया...
यूँ जनता ने अबीर-गुलाल औ रक्त से
होली का त्यौहार मनाया....
"रोली वाकई में अच्छी व्यंगात्मक कविता लिखी आपने...."
ReplyDeleteप्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
धन्यवाद प्रणव जी..
ReplyDeleteyathart batatati hui byangatmak ,saarthak rachanaa likhi aapne.badhaai sweekaren.
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
शानदार व्यंग्य्।
ReplyDeleteकरारा व्यंग...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति...
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteहोली का उपहार...
ReplyDeleteबहुत तीखा और प्रभावपूर्ण कटाक्ष आज की व्यवस्था पर !
ReplyDeletesteek teekha vyang...kathani aur karni ka antar ..
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