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वादा न निभाने का दुष्परिणाम

25  अप्रैल 2015 को नेपाल में अचानक धरती हिलने लगी, लोग घबरा गए, बड़ी-बड़ी इमारतें व मकान ताश के पत्तों की तरह ढहने लगे। यह भूकम्प था जिसे रिक्टर पैमाने पर 7.8 व 8.1 तीव्रता का मापा गया जिसने पूरे नेपाल में लगभग 5 दिन तक भारी तबाही मचाई, तकरीबन 9000 लोग मारे गए और 22000 लोग घायल हुए। सैलानियों का स्वर्ग नेपाल उजड़ गया। ललितपुर, भक्तपुर, पाटन जैसे खूबसूरत ऐतिहासिक शहर बर्बाद हो गए। चारों तरफ मलबा और चीख-पुकार थी। हमारा देश भारत, जिससे नेपाल के मधुर संबंध रहे हैं, उसने नेपाल को इस प्राकृतिक आपदा में सांत्वना दी और वादा किया कि वह नेपाल को पुनः खड़ा करेगा। दिन गुज़रने लगे, भारत अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गया, उधर नेपाल कराह रहा था। लोगों के घर, आजीविका के साधन, पर्यटन सब उजड़ गया था, ऐसे में दूसरे पड़ोसी चीन ने उसका हाथ थामा और साधन-संपन्न चीन ने साल भर में नेपाल की ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्जीवित कर दिया, चमचमाती सड़कें और सुंदर इमारतों का पुनर्निर्माण कर नेपाल के लोगों का दिल जीत लिया। यह चीन की सिर्फ हमदर्दी नहीं थी, कुटिल चाल भी थी। नेपालवासियों को उनका नेपाल लौटा कर चीन उनकी नज़रों में श्र

एक सार्थक विश्व पर्यावरण दिवस।

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इस बार दशकों बाद देश में यह दिवस मनाना सार्थक होगा। प्रदूषण रहित हवा, ध्वनि रहित वातावरण, कचरे से मुक्त जलाशय, कलकल बहती  पारदर्शी नदियाँ, उन्मुक्त स्वच्छ गगन में कलरव करते पंछी। पर्यावरण के जानकार बताते हैं कि लॉकडाउन ने शहरों की हवा हिमालय की तराई सी स्वच्छ व प्रदूषण रहित कर दी है। कोयल की कूक से ले कर विभिन्न पक्षियों का कलरव, उनकी मीठी बोली सुबह हमें नींद से जगाती है। न धूल है न धुआं, न गाड़ियों का शोर। जिस कोरोना वायरस से समूचा विश्व लड़ रहा है, डर रहा है वही प्रकृति के लिये वरदान साबित हुआ। बीते 3 महीनों की हमारी जीवन शैली मजबूरीवश ही ऐसी थी कि किसी ने प्रकृति का कोई अहित नहीं किया किन्तु अनलॉक आरंभ होने के साथ फिर सड़कों पर वाहन दौड़ने लगे हैं। चिमनियां फिर धुंआ उगलेंगी, कारखानों का कचरा फिर नालों के जरिये नदियों को दूषित करेगा। जीव-जंतु, पशु-पक्षी फिर सहम जाएंगे। जीवन की रफ्तार  आवश्यक है, किंतु उस रफ्तार में जीवन हो इसके लिए पर्यावरण सरंक्षण, जल संरक्षण बेहद ज़रूरी है। क्या करें कि जीवन भी चलता रहे, पर्यावरण भी सुरक्षित रहे!!! बहुत सी आदतें बदलनी होंगी हमें। 1. वृक्ष लगाए