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Showing posts from March, 2020

बराबर रहें..साथ रहें..

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विश्व महिला दिवस की सभी सखियों को अशेष बधाई एवं शुभकामनाएं। हमारा दिन तो रोज ही होता है, आज का दिन बस उस रोज में से कुछ लम्हे चुरा कर उसे सेलिब्रेट करने का है, अंतर्मन में झांकने का कि - मैं जो भी कर रही हूँ, वह ठीक है न! सही है न! आज का दिन वह है कि जो साल भर हमने घर, परिवार, समाज को दिया है, उनके लिए हमें पुरुस्कृत किया जाये। आज पुरुष हमें मंच पर सम्मानित करते हैं,अहसास दिलाते हैं कि तुम कम नहीं, बराबर हो बल्कि कई बार हमसे बढ़ कर हो। जब पुरुष नारी का सम्मान करते हैं तब उनके बीच विश्वास बढ़ता है, नारी की शक्ति बढ़ती है और पुरुष की ज़िम्मेदारी। दबी,कुचली, रोती, सिसकती, लाचार नारी को अब अक्सर पुरुष ही सहारा दे कर उसे शक्ति का अहसास कराते हैं। उसके आँसू पोंछ कर उसका मनोबल बढ़ाते हैं। समय बदल रहा है, कुरीतियाँ पूरी तरह समाप्त होने में सदियां लगती हैं किंतु आगाज़ हो चुका है एक ऐसे समाज का जहाँ शिक्षा व नई और खुली सोच ने पुरुष को आगे बढ़ाया है कि वह महिलाओं को उनके अधिकार बताये, उनकी शक्ति का अहसास कराए व एक नए समाज के निर्माण में स्त्री को बराबरी पर रखे। माना कि अभी इस तरह का आँकड़ा बहुत

मंच के साथ मन में भी सम्मान दें...

8 मार्च को विश्व महिला दिवस के ठीक पहले नारी प्रधान फ़िल्म थप्पड़ आयी। धीमी गति की इस फ़िल्म में एक स्पष्ट संदेश है कि - यदि पुरूष अपनी पत्नी की इज़्ज़त नहीं करेगा तो लाख सुख-सुविधायें व प्रेम भी उसे अस्वीकार्य है। फ़िल्म में अनेक सशक्त महिला किरदारों के अलावा घरेलू काम-काज करने वाली महिला का ज़मीर भी पति के अधीन बताया गया है। एक सफल व समर्पित गृहिणी को भरी पार्टी में पति थप्पड़ मारता है और उसके लिए उसे कोई मलाल भी नहीं क्योंकि उसने नौकरी के तनाव व गुस्से के चलते वह थप्पड़ जड़ दिया था। इसी एक थप्पड़ ने नायिका का वज़ूद ही बदल दिया। हमारे समाज में आज भी महिलाओं पर हाथ उठाने का अधिकार पुरुषों को ही प्राप्त है। अनेक भावात्मक उतार चढ़ाव से गुजरती इस फ़िल्म में भी यही संदेश है कि - हे नारी, जहाँ तुम्हारा सम्मान नहीं, वह जगह तुम्हारे लिए उपयुक्त नहीं। फ़िल्म के दो महिला किरदार, नायिका की माँ व सास रूढ़िवादी हैं परम्पराग्रस्त हैं। उनके अनुसार गृहस्थ जीवन में लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं ऐसे में यदि पति ने हाथ उठा दिया तो बात न बढ़ाते हुए, उसे भुला कर अपनी गृहस्थी पुनः संभालनी चाहिए। एक गृहिणी अपने परिवार के