आत्महत्या.....
(विदर्भ में सन 2010 में अब तक 527 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, अब तक सबसे अधिक आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र व कर्नाटक में एवं आंध्र -प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में हुए हैं
कहीं सूखा है, कहीं अति वृष्टि, फसल का नुकसान साल भर मेहनत करने वाला किसान सह नहीं पाता, ऊपर से क़र्ज़ लेकर बोहनी करना...!
मेरी यह रचना ऐसे समस्त किसानो के परिवारों को समर्पित है...जिन्होंने अपने घर का बेटा, मुखिया, भाई या परिवार का कोई सदस्य खोया है )
सूने-सूने नयन
करता चिंतन-मनन
बाढ़ की तबाही से
उजड़ गया जीवन...
डूब गया खलिहान
बह गया अनाज
कर दिया बाढ़ ने,
दाने-दाने को मोहताज....
कब तक पियें बच्चे,
चावल का माड़
गीली लकड़ी की जगह,
कब तक सुलगे हाड़...
हे प्रभु, पहले तो,
एक-एक बूँद को तरसाया..
सुन के मेरी गुहार फिर,
क्यों मेघों को इतना बरसाया...
कि अन्न का एक-एक कण,
अतिवृष्टि में जा समाया...
नयनों में नींद ना थी
ना चैन ह्रदय में पाता था..
रह-रह के परिवार का चेहरा,
आँखों के सामने आता था...
हार गया,बस हार गया मै,
कह कर वो चित्कार उठा...
बेबस जान स्वयं को वह
मन-ही-मन धिक्कार उठा...
अर्ध रात्रि को, दबे पाँव वह,
खड़ा हुआ दृढ निश्चय कर,
हाथ जोड़ के क्षमा माँग,
चल दिया झुका के सिर...
नयनों से बह रहे थे अश्रु,
मन-ही-मन कहता जाता,
भाग रहा कर्तव्य पथ से,
तोड़ के तुम सबसे नाता...
एक ही पल में चला गया वो,
जहाँ से कोई नहीं आता....
फिर हुई सुबह...
फिर उगा सूरज...
फिर हांड़ी में उबले चावल...
रो-रो के चल पड़ी ज़िन्दगी...
मन को करती,
पल-पल घायल.........
-रोली पाठक
http://wwwrolipathak.blogspot.com/
बहुत मार्मिक चित्रण ...
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 22 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
सराहना के लिय धन्यवाद संगीता जी, चर्चा मंच में तीसरी बार मेरी कविता को स्थान देने हेतु आभार :)
ReplyDeleteकल गल्ती से तारीख गलत दे दी गयी ..कृपया क्षमा करें ...साप्ताहिक काव्य मंच पर आज आपकी रचना है
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/2010/09/17-284.html
किसानो की विवशता का बहुत ही सटीक चित्रण ! एक बहुत ही अच्छी कविता के लिए बधाई !
ReplyDeleteकिसान परिवार अल्पवृष्टि , अतिवृष्टि दोनों से ही परेशान होते हैं ...
ReplyDeleteइनकी व्यथा को अच्छी तरह प्रस्तुत किया ..!
ROLI,achchhi rachana ke lie badhaaiee.
ReplyDeleteसुन्दर रचना ... मार्मिक
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 28 - 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
आप सभी को धन्यवाद....
ReplyDeleteसंगीता जी, धन्यवाद |
निकट निरीक्षण की कविता
ReplyDeleteआपका चिंतन बहुत गहरा और संवेदनशील है
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत मार्मिक! एक संवेदनशील रचना.
ReplyDeleteवर्मा जी, समीर लाल जी, निर्झर नीर...आप सभी का बहुत-बहुत आभार..
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत कविता है। लाजबाव अर्थपूर्ण अभिव्य्क्ति।
ReplyDelete-: Visit my blog :-
तपा सके अगर सोना तो ह्दय मे अगन होनी चाहिये।.........कविता
को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्य्क्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित है।
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