अधूरी दास्ताँ......
एक सदा थी, एक अदा थी
एक हया थी, एक वफ़ा थी
एक प्रेम का वादा था
एक मज़बूत इरादा था
एक सुहाना सपना था
एक अफसाना अपना था
एक राह भी थी, एक मंजिल भी...
दो कोमल प्यार भरे दिल भी...
एक तरफ सारा संसार
एक तरफ था मेरा प्यार
फिर, वही हुआ जो जग की रीत...
जग जीता, और हारी प्रीत...
बिछड़ गया मेरा मनमीत...
बिछड़ गया मेरा मनमीत...
-रोली पाठक
एक हया थी, एक वफ़ा थी
एक प्रेम का वादा था
एक मज़बूत इरादा था
एक सुहाना सपना था
एक अफसाना अपना था
एक राह भी थी, एक मंजिल भी...
दो कोमल प्यार भरे दिल भी...
एक तरफ सारा संसार
एक तरफ था मेरा प्यार
फिर, वही हुआ जो जग की रीत...
जग जीता, और हारी प्रीत...
बिछड़ गया मेरा मनमीत...
बिछड़ गया मेरा मनमीत...
-रोली पाठक
वाह ! क्या खूब लिखा है
ReplyDeleteसुन्दर एहसास सुन्दर अभिव्यक्ति
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई के पात्र है
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeletebhavpoorna rachana .........shabda shabda dil me utar gaya ...........ek achchhi rachana ke liye dhanyavaad
ReplyDeletenice poem roli
ReplyDeleteवर्मा जी, सुनील जी, वंदना जी, संजय भास्कर जी, नवीन भाईसाहब....आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद....
ReplyDeleteवाह अच्छी रचना इस कविता के माध्यम से तो आप जीत गयी !
ReplyDeleteअमरजीत जी...शुक्रिया...आपके तो नाम में ही जीत है :)
ReplyDeleteसुन्दर कवितायें लिखती हैं आप, धन्यवाद.
ReplyDeleteदीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाये !कभी यहाँ भी पधारे ...कहना तो पड़ेगा ................
ReplyDeleteबदलते परिवेश मैं,
ReplyDeleteनिरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
कोई तो है जो हमें जीवित रखे है,
जूझने के लिए है,
उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
यही शुभकामनाये!!
दीप उत्सव की बधाई...................
Shabdo ko ek taar me pirona koi aapse sikhe.....
ReplyDeleteसंजीव जी, अमरजीत जी, दीपेश.....आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.........
ReplyDeleteye dard...........ye ahsas..........door hokar bhi aap.....lag rahee bahut paas....bahut2 acha likhti hain aap.....thanks.
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