एक सार्थक विश्व पर्यावरण दिवस।

इस बार दशकों बाद देश में यह दिवस मनाना सार्थक होगा।
प्रदूषण रहित हवा, ध्वनि रहित वातावरण, कचरे से मुक्त जलाशय, कलकल बहती  पारदर्शी नदियाँ, उन्मुक्त स्वच्छ गगन में कलरव करते पंछी। पर्यावरण के जानकार बताते हैं कि लॉकडाउन ने शहरों की हवा हिमालय की तराई सी स्वच्छ व प्रदूषण रहित कर दी है। कोयल की कूक से ले कर विभिन्न पक्षियों का कलरव, उनकी मीठी बोली सुबह हमें नींद से जगाती है। न धूल है न धुआं, न गाड़ियों का शोर।
जिस कोरोना वायरस से समूचा विश्व लड़ रहा है, डर रहा है वही प्रकृति के लिये वरदान साबित हुआ। बीते 3 महीनों की हमारी जीवन शैली मजबूरीवश ही ऐसी थी कि किसी ने प्रकृति का कोई अहित नहीं किया किन्तु अनलॉक आरंभ होने के साथ फिर सड़कों पर वाहन दौड़ने लगे हैं। चिमनियां फिर धुंआ उगलेंगी, कारखानों का कचरा फिर नालों के जरिये नदियों को दूषित करेगा।
जीव-जंतु, पशु-पक्षी फिर सहम जाएंगे।
जीवन की रफ्तार  आवश्यक है, किंतु उस रफ्तार में जीवन हो इसके लिए पर्यावरण सरंक्षण, जल संरक्षण बेहद ज़रूरी है।
क्या करें कि जीवन भी चलता रहे, पर्यावरण भी सुरक्षित रहे!!!
बहुत सी आदतें बदलनी होंगी हमें।
1. वृक्ष लगाएं। जब भी, जहाँ भी संभव हो, पौधा लगाएं, उसकी देखभाल करें।
2. प्लास्टिक/पॉलीथिन का उपयोग बंद करें।
3. डिस्पोज़बल बर्तनों से दूरी बनाएं। ढेरों विकल्प हैं - कुल्हड़, पत्तल, दोने इत्यादि।
4. छोटी-छोटी दूरियों के लिए वाहन न निकालें। साइकल या पैदल चलना स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।
5. वाहन चलाते समय बार-बार हॉर्न बजाना अधीरता की निशानी है, संयमित चालक की तरह पेश आएं इससे ध्वनि प्रदूषण घटेगा।
6. जल अनमोल है। हमारे पास सहजता से उपलब्ध है, जिनके पास नहीं है वे एक मटका भरने के लिए 10 से 20 किलोमीटर तक पैदल आते-जाते हैं। इसे व्यर्थ न गंवाएं।
7. आजकल RO घर-घर में है, जिसकी मशीन एक ओर पानी साफ करती है वहीं दूसरे पाइप से दूषित पानी निकालती है, जो घरों में अक्सर किचन के वाशबेसिन में बहता रहता है, उस पाइप को किसी बाल्टी में डाल दें, वह पानी पोंछा लगाने, कपड़े धोने, बर्तन धोने आदि काम मे आएगा।

कोविड 19 के कारण वर्षों बाद हमें स्वच्छ वातावरण और प्रदूषण रहित पर्यावरण बिना कुछ किये उपहार में मिला है, इसे सहेज कर रखना हम सबकी ज़िम्मेदारी है। जो हम प्रकृति को देंगे, वह हमें वही लौटायेगी।
- रोली पाठक
🌍 🏝️ 🏡 🌱🌿🌴🌳🍃

Comments

Popular posts from this blog

जननि का महत्व

पापा

भीगी यादें