आह्वान

बदले जग पर, तुम न बदलना, तुम ऐसी ही रहना
मेरे  ऊसर से  जीवन में, सरिता  बन  तुम बहना
बदलें नाते, तुम ना बदलना, तुम ऐसे  ही रहना…

सह लूंगी मै जग की और हर रिश्ते की कड़वाहट
मधुर चाँदनी बन कर तुम, जीवन में  मेरे रहना
दुनिया बदले, तुम न बदलना तुम ऐसे  ही रहना ....

निविड़-कालिमा बीच मुझे तुम, उजियारा दिखलाना
अँधियारी जीवन-रजनी में , तुम दीपक बन जाना
भूलें अपने , तुम ना भूलना , सब दिन अपना कहना
बदले जग पर, तुम न बदलना , तुम ऐसे ही रहना…....

- रोली पाठक


Comments

  1. निविड़ कालिमा बीच मुझे तुम दिखलाना

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

जननि का महत्व

नन्हीं चिड़िया

भीगी यादें