चंद अलफ़ाज़ ...
इंसानों से तुम जुदा तो नहीं समझते हो, तो क्या तुम खुदा तो नहीं ...! बड़ा बेरहम है ये जो वक़्त है मिजाज़ इसका बड़ा ही सख्त है.....! पत्थर को तराशा इक बुत बना दिया इंसान को भूल गये उसे पत्थर बना दिया …। - रोली
वो भावनाएं जो अभिव्यक्त नहीं हो पातीं वो शब्द जो ज़ुबाँ पे आने से कतराते हैं इन्द्रधनुष के वो रंग जो कैनवास पर तो उतर जाते हैं पर दिल में नहीं...वो विचार जो मस्तिष्क में उथल-पुथल मचाते हैं पर बाहर नहीं आ पाते... उन्हीं को अपनी रौशनाई में ढाल कर आवाज़ दी है शब्द दिए हैं...और इस ब्लॉग पर बिखेरा है..बस एक प्रयास है...कोशिश है..... मेरी ये.....आवाज़