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Showing posts from September, 2015
सितम्बर की शाम..
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खामोश, स्तब्ध, चुप सी बिलकुल बेआवाज़.. न पत्तियों की सरसराहट न पंछियों की गुनगुनाहट न कोई सुगबुगाहट न हवा न गर्मी न सर्दी न बारिश न कोई मौसम नीरस बेजान सितम्बर की शाम... चुप आसमान चुप है ज़मीं शांत विचरते बादल अलसाये, घर लौटते थके थके खग दल पसरा हुआ सन्नाटा सब मायूस परेशान ग़मगीन खोयी खोयी सी सितम्बर की शाम.... - रोली