Posts

Showing posts from April, 2010

दो बैल...

Image
कल मर गया किशनू का बूढा बैल, अब क्या होगा... कैसे होगा... चिंतातुर,सोचता-विचारता मन ही मन बिसूरता थाली में पड़ी रोटी टुकड़ों में तोड़ता सोचता,,,बस सोचता... बोहनी है सिर पर, हल पर गडाए नज़र, एक ही बैल बचा... हे प्रभु, ये कैसी सज़ा...!!! स्वयं को बैल के रिक्तस्थान पे देखता.. मन-ही-मन देता तसल्ली खुद से ही कहता, मै ही करूँगा...हाँ मै ही करूँगा... बैल ही तो हूँ मै, जीवन भर ढोया बोझ, इस हल का भी ढोऊंगा कितनी भी विपत आये, फसल अवश्य बोऊंगा... खाट छोड़ ,मुह अँधेरे ही.. निकल पड़ा खेत की ओर, दो बैल जोत रहे खेत, होने लगी देखो भोर......... - रोली पाठक http://wwwrolipathak.blogspot.com/

RUSH N BITE रेस्टोरेंट मे दिखाई देगा मेरा ये BIG CARTOON BHOPAL RAILWAY STATION के PLATEFORM NO. 1 मे स्थित

Image

वीरगति

Image
सन्नाटे की साँय-साँय झींगुर की झाँय-झाँय सूखे पत्तों पे कीट की सरसराहट दर्जनों ह्रदयों की बढाती घबराहट हरेक मानो मौत की डगर पर... चलने को अग्रसर... पपडाए होंठ सूखा हलक ज़िन्दगी नहीं दूर तलक चाँद की रौशनी भी हो चली मद्धम जहाँ.. ऐसे मौत के घने जंगल हैं यहाँ, हाथ में बन्दूक,ऊँगली घोड़े पर ह्रदय है विचलित पर स्थिर है नज़र.. ना जाने और कितनी साँसें लिखी हैं तकदीर में.. एक बार फिर तुझे देख लूं तस्वीर में.. जेब को अपनी टटोलता-खंगालता, बटुएनुमा एक वस्तु निकालता, हौले से उसके पटों को खोलता, मन-ही-मन उस तस्वीर से बोलता, सन्नाटे से डरता, आवाज़ से घबराता, मन-ही-मन वो है बुदबुदाता, छूट जाये जो साथ अपना, तो गम ना करना... माँ-बाबू और बच्चों को संभालना, आँख तुम नम ना करना.. ना जाने ये दानव जीने देंगे या नहीं.. मै अपना, तुम अपना फ़र्ज़ अदा करना.. रह गया अधूरा ये वार्तालाप सन्नाटे को चीरती आई मौत की आवाज़.. धंस गयी कलेजे में उसके वह गोली.. कोई और नहीं वे थे नक्सली... गिरा बटुआ एक ओर भीग गए नैनो के कोर चारों ओर है दावानल चीखों और मृत्यु का शोर ज़िन्दगी मानो उससे दूर जा रही है... एक मीठी सी नींद आ रही है...

मेरी नन्ही परी....

Image
नन्ही सी कोमल कली रुई के फाहे सी सफ़ेद घुंघराले काले केशों के संग मानो श्याम मेघों के बीच चंदा,रहा दमक... आसमान सी नीली पोशाक में लिपटी.. इन्द्रनुषी आभा सी दमकती.. मेरे आँचल में चमकती... नयनों की डिबिया को झप-झप झपकाती.. कस के बंद गुलाबी मुट्ठियों को हिलाती-डुलाती अलि सी गुनगुन में गुनगुनाती-इठलाती मुझे मातृत्व का एहसास कराती... परीलोक की मेरी ये शहज़ादी मानो मुझसे पूछती सी... माँ तू नाराज़ तो नहीं की मै बेटी हूँ...!!!!!!! पलकों से उसे सहला के आंसुओं से मैंने उसे नहला के गर्व से गोद में उठा कर हजारों चुम्बन बरसा कर हौले से कहा उसे- बिटिया...मेरी तरह तू भी.. एक बेटी, एक बहिन, एक गृह-लक्ष्मी और.. एक माँ होगी. समझेगी तू ही मेरी हर पीड़ा को... हमारी दुलारी है तू पिता की प्यारी है तू रौशन होगा तुझसे ही अपने घर का हर कोना हर त्यौहार में तू ही रचेगी-बसेगी... तेरी किलकारी से हमारी दुनिया सजेगी... जब-जब तू खिलखिलाएगी बिटिया हमारी दुनिया जगमगाएगी.... -रोली पाठक http://wwwrolipathak.blogspot.com/

मध्यम वर्ग का कीड़ा

Image
मुट्ठी में फडफडाते नोट देख कर डूबा हुआ है वो यह सोच कर.. क्यूँ ना हूँ मै इतना गरीब कि फटेहाल भी रह सकता रोटी-प्याज भी खा कर जी सकता.. ना होते पडोसी ना रिश्तेदार ना किसी के सवाल ना जवाब... फक्कडपन से रहता रोज़ कुआं खोद के पानी पीता... फटे कपडे पहन कर शान से घूमता... फिर ख्याल आया उसे.... या तो होता इतना अमीर कि इन मुट्ठी में बंद रुपयों को भीख में दे सकता... ना पेट की होती चिंता ना अपनों की फिकर दीवार पर चिपके होते नोट वॉल-पेपर पर... खाने की थाली सोने की होती जिसमे भोजन होता रत्न, जवाहर, माणिक का... लेकिन मै हूँ एक कीड़ा समाज के ऐसे वर्ग का जहाँ इतने से रुपयों में ही पेट की आग, तन की सज्जा... माँ की दवाई, पत्नी की लज्जा.. बेटे की कोचिंग बेटी की पढाई बनिए का राशन दूध का बिल और मकान की इ.एम्.आई. सब का करना होगा हिसाब ये मुट्ठी भर नोट किस-किस काम आएंगे...!!! क्यूँ पैदा हुआ मै.. इस मध्यम वर्ग में जहाँ इन मुट्ठी भर नोट में ही मर मर के जीना होगा... और ज़िन्दगी भर कर्ज़दार बन कर रहना होगा...

आस्तीन के सांप हैं ये....

Image
गृहमंत्री जी का यह बयान कि नक्सलवादियों पर इसलिए वायुसेना से हमला नहीं किया जा सकता क्योंकि वे देश के दुश्मन नहीं हैं, बड़ा विचित्र है! चिदंबरम साहब, ये तो देश के दुश्मनों से भी ज्यादा खतरनाक हैं, जो अपने होते हुए भी अपनों का लहू बहा रहे हैं! क्या देश का नागरिक अपराध करे तो वह अपराध की श्रेणी में नहीं आयेगा! आइ.पी.सी. की धारा ३०२ के तहत कोई हत्या करता है तो क्या उससे सजा नहीं दी जाती?? तो इन क्रूर नक्सलवादियों से हमदर्दी क्यों?? या किसी और बड़ी घटना का इंतज़ार है?? या ये समझा जाये कि कोई वी.आई.पी. नहीं मारा गया इनके हाथों अभी तक, इसलिए इन्हें फिलहाल माफ़ी है...!!!!!अगर ये भारत देश को अपना समझते तो क्या सी.आर.पी.ऍफ़. के जवानों की यूँ हत्या करते??? इस के पहले भी ना जाने कितने निर्दोष लोगों की जान ले चुके हैं ये! मंत्री जी, बयान नहीं कठोर कदम उठाइए इनके विरुद्ध... आस्तीन के सांप हैं ये....!

महाकुम्भ का तीसरा शाही स्नान

Image
महाकुम्भ का पावन अवसर...उस पर चैत्र पूर्णिमा व हनुमान जयंती... और शाही स्नान! जहाँ एक ओर भारत के कंदर-गुहाओं, जंगल-पर्वतों से निकल-निकल कर साधू-संत हरिद्वार आये हुए हैं वहीँ आस्था एवं गंगा का तीव्र प्रवाह भीड़ की शक्ल में "हर की पैड़ी" पर उमड़-उमड़ जा रहा है! जीवन में कितने भी पाप किये हों, गंगा मैया की एक डुबकी उद्धार कर देगी! सारे पाप धुल जायेंगे, इस विश्वास के साथ जन-समूह उमड़ा पड़ रहा है, जिसमे अधिकतर ग्रामवासी हैं!प्रातः काल ३ बजे से आम लोगों का स्नान आरंभ हुआ, आज जो गंगा मैया में स्नान करेगा वह सीधा बैकुंठ जायेगा! हिमगिरी से निकली गंगा का हिम सा शीतल जल भी लोगों के निश्चय को डिगा नहीं पा रहा था....प्रातः ९ बजे तक ये स्नान चला उसके पश्चात् अखाड़ोंका स्नान आरंभ होगा! जूना अखाडा, निर्मल अखाडा, निरंजन अखाडा, अग्नि अखाडा,महानिर्वानी अखाडा, अटल अखाडा, आनंद अखाडा एवं अन्य साधू-संतों के ये समूह बड़े-बड़े सजे-धजे रथों,गाड़ियों,हाथी-घोड़े में सोने-चांदी से सुसज्जित सुन्दर छत्र लगाये अपने गुरुओं के साथ आपने अखाड़ों का वैभव के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए शान से हर की पैड़ीस्थित ब्रम्ह