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Showing posts from September, 2019
पैर सिकोड़े,मोड़े हाथ सर्दियों में कोई नवजात धूप में लेटाने पर जैसे लेता खुल कर अंगड़ाई है वैसे ही हफ्तों बाद आज धूप आई है... पौधे जो खूब ऊब चुके थे बारिश में पूरा डूब चुके थे सुरमई मेघों के छंटने से सूरज के खुल कर हंसने से दे रहे खुश दिखाई हैं क्योंकि हफ्तों बाद आज धूप आयी है... मुंडेरों पर कपड़े सूख रहे दरवाज़े खिड़की खुल गए कमरे की सीलन सिमट रही हो रही घरों में सफाई है क्योंकि हफ्तों बाद आज धूप आई है... गद्दे भी थे गीले-गीले बिस्तर भी थे सीले-सीले बारिश के निशां दीवारों पर धब्बे जैसे काले-पीले सूरज की गर्मी से सबने  अब कुछ राहत पायी है क्योंकि हफ्तों बाद आज धूप आई है... - रोली
निराशा की जगह संभावनाएं तलाशें ************************ किसी भी देश की प्रगति व् एकता के लिए एक राष्ट्रभाषा का होना आवश्यक है, जिसमे राजकार्य हो, बहुसंख्यक लोग एक-दूसरे से बातचीत में जिसका इस्तेमाल करें । हिन्दी हमारे देश भारत में राज-काज की भाषा है । आज हमारी इस राष्ट्रभाषा की प्रतिद्वंदी भाषा है - अंग्रेजी । सरकारी कामकाज भले ही हिंदी में करने का व् होने का दम भरा जाता हो, किन्तु ऐसा होता नहीं है। पढाई का स्तर भी माध्यम से ही आँका जाता है, यदि बच्चा अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ रहा है तो उच्च स्तर अन्यथा निम्न । अभिभावक भी मजबूर हैं, देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से व् ना केवल विदेशों में बल्कि अपने ही देश में अंग्रेजी भाषा का स्तरीय ज्ञान आवश्यक हो गया है । किसी भी विदेशी ज्ञान का होना निंदनीय नहीं बल्कि यह तो अच्छी बात है किन्तु उस भाषा का गुलाम होना अनुचित है । वर्तमान में यह स्थिति है कि लोगों की हिंदी बोलचाल तक ही सीमित रह जाती है, यदि लिखना भी पड़े तो उसका स्तर बहुत ही निम्न होता है, वहीँ उनका अंग्रेजी भाषा का ज्ञान उच्च कोटि का होता है । अपने ही देश में अपनी र