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Showing posts from April, 2011
वो ख़ुद एक आफ़ताब है,  क्या ज़रूरत है उसे रौशनी की... बुझा दो इन चिरागों को, कि इनकी रौशनी जाया हो रही है..... -रोली..   
 अपनों के दिए ज़ख्म अक्सर नासूर बन जाते हैं....  वक्त ही होता है मरहम  इस तरह के ज़ख्म का... शूल से चुभ के दिल में जो, जिंदगी में उतर आते हैं.... -रोली......
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झूठ फरेब और असली-नकली इस पर ही दुनिया कायम है रिश्वत खोरी, काला-बाजारी, चारों ओर यही आलम है, सत्य के पथ से आते हैं जो, भ्रष्ट भला वो क्यों हो जाते, कुछ ही दूर, सफ़र में अपने, सारे सिद्धांत हैं भूल जाते... आरंभ करते जो अपनी यात्रा, मन में गांधी को बसा कर, ज्यों-ज्यों कारवां बढ़ता जाता, टू-जी,सी.डब्ल्यू.जी. एवं आदर्श घोटाले में जा समाते..... भूल के अपनी सूती धोती, रेशमी वस्त्र में लिपट क्यों जाते.... पहले जनता के साथ खड़े थे, अब क्यों एसी में बैठ बतियाते..... अजब-गज़ब है मनः स्थिति हमारी, किस पर करें हम विश्वास , आज दिया है वोट जिसे, कल वही तोड़ेगा हमारी आस.... कलयुग है यह,छोड़ दो लोगों, आएगा " कलकी " लेकर अवतार, हमें ख़ुद ही उठानी होगी, अपनी दोधारी तलवार.... सोने की चिड़िया के लिए, एक बार फिर देदो जान... सिर्फ कहने से नहीं बनेगा.... - मेरा भारत महान...मेरा भारत महान.....
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आओ कुछ ख्वाब बुने... अधूरे से वो ख्वाब... जो पलकों तक न पहुंचे.... उनींदी सी अवस्था में  सोच के दायरे में रह गए.... जिन्हें  ह्रदय ने चाहा.... और सोच बन के जो, विचारों में घुमड़-घुमड़, पलकों में मंडराते रहे..... आज रात वो सारे  ख्वाब, देखना चाहती हूँ मै...... नींद में डूब के उनमे, खोना चाहती हूँ मै..... अपनी अधूरी इच्छाएं, यूँ  पूरी करना  चाहती हूँ  ..... ख़्वाबों के समंदर से , निकाल के चंद लम्हे.... हकीकत बनाकर,  जीना चाहती हूँ  ... हरेक लम्हा...जीना चाहती हूँ......