सीलन....
कतरे-कतरे धूप के समेट कर मुट्ठी में, तेरी यादों की सीलन को, दिखाना है मुझे... अश्कों की बारिश से, उभर आई है जो, दिल की दीवारों पर... उसे अब वक्त के रहते, हटाना है मुझे..... यादों के उन धब्बों को, खुरच-खुरच कर , मिटाना है मुझे...... - रोली ...