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Showing posts from September, 2011

ज़िन्दगी.....

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हौले से दबे पाँव, कमरे में मेरे, धूप के एक टुकड़े की तरह, बेआवाज़ वो दाखिल हुयी... अनमना सा अधलेटा, अपने बिछौने पर, कोस रहा था उसे ही, सकपका गया अचानक, उसे देख सामने, फिर उसके सितम याद आने लगे.... तरेर के नज़रें मैंने कहा, -"क्यूँ नहीं करती मुझ पे रहम, क्यों लेती हो हर घडी मेरा इम्तेहान..."  वो मुस्कुराई, इठला कर बोली - जो बन जाऊं मै आसान , जीने न देगा तुम्हें ये ज़माना, कठोरता तुम्हें सिखला रही हूँ, अपना हर रूप तुम्हें दिखला रही हूँ, हर रंजो-गम ताकि पी सको, राह के हर दुःख-दर्द में, मुस्कुरा के जी सको.... करते हैं हर वक़्त जो, खुदा की बंदगी, आसां तो नहीं होती उनकी भी ज़िन्दगी... वर्ना पादरी, मौलवी, पंडित, साहूकार होते, आज के रईस भ्रष्टाचारी, उनके कर्ज़दार होते..... मै तुम्हारी "ज़िन्दगी".... तुम्हारी हर तल्ख़ बात सुनती हूँ, फिर भी ख्वाब तुम्हारे लिए, नए, हर रोज़ बुनती हूँ... हर रोज़ बुनती हूँ...
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पूनम की रात.... ******************* रात ढल रही, छोड़ दो कुछ देर चाँद को तनहा... वो भी इतरा ले, सितारों के बीच.......... चाँदनी को भी आज, होने दो उसकी, पूर्णता का एहसास ... कि आज चाँद आसमाँ पर, बड़े रुआब से है.... चाँद को करने दो गुमान, कि उसकी पूर्णता से, चाँदनी भी आज अपने, पूरे  शबाब पर है......... -रोली...

दिल......

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  बड़ा गुस्ताख है, नादान है, मासूम है, कभी मगरूर है, मसरूफ है, कभी मजलूम है.... कभी है बेवफा, तो कभी जां-निसार है, कभी उजड़ा चमन, तो कभी मौसमे-बहार है, कभी लगता है अपना, तो कभी बेगाना है ये, थोडा सा पागल, थोडा दीवाना है ये, कभी नटखट सा इक बच्चा, कभी सयाना है ये, कभी खामोश और तनहा, कभी कातिल है... क्या करें कि फिर भी दिल आखिर दिल है........... दिल आखिर दिल है............. -रोली...
सिलसिला ज़ारी है, इन बरसातों का, थमती ना थीं जैसे, तेरी बातों का...... -रोली.  
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  सुर्खी गुलाब की..... उस परिंदे के लहू से है, अपने इश्क के खातिर गुल को, सुफैद से लाल कर दिया जिसने.... -रोली ...
  वो मुझसे नाता तोड़ता भी नहीं, दूर है फिर भी मुँह मोड़ता नहीं , चाहा है उसे दिल से भुलाना कई बार,  वो है कि फिर भी साथ छोड़ता नहीं.....   -  रोली
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आज प्यार की तुम ही पहल कर दो, दिन को गीत रात को ग़ज़ल कर दो, सजा दो चाँद-तारे मोहब्बत के आसमाँ पर, मेरे उजड़े आशियाने को,महल कर दो..... -रोली