अहसास बनके तेरी यादों में बसती हूँ... आँसू बनके तेरी आँखों में सजती हूँ... कभी हवा का झोंका बन,किवाड़ खड़खड़खड़ाती हूँ, कभी गर्म शॉल बन,तन से लिपट जाती हूँ.... जेठ की दुपहरी में नीम की छाया हूँ, आषाढ़ की बूँदों में, छत का साया हूँ, हर पल हूँ साथ तुम्हारे, महसूस करो, मै तो मुस्कान बन, सदा तेरे अधरों पे सजती हूँ... अहसास बनके तेरी यादों में बसती हूँ.....
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Showing posts from June, 2011
असली-नकली....
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सभी जीते हैं दोहरी ज़िन्दगी यहाँ, हैरान हूँ रोज़ बदलते चेहरे देखकर... सुनती थी साधू-संत मिलते हैं हिमालय में, प्रवचन दे रहे आज वो, एसी में बैठकर.... वो जिनकी जेबें फटी थीं कल तक, आज नोट उगल रहे उनके लॉकर.... पहचानते नहीं वो आज सुरक्षा घेरे में, आये थे मांगने साथ हमारा, जो कल हाथ जोड़कर.... नकाब उतरा तो शैतान का था चेहरा, आ रही थी ऊपर से जिसपर, मुस्कराहट नज़र... सभी जीते हैं दोहरी ज़िन्दगी यहाँ, हैरान हूँ मै रोज़ बदलते चेहरे देखकर....