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Showing posts from March, 2012
रास्ते होंगे कठिन, हर शै तुम्हें आजमाएगी, हौसले जो दिल में हों मंजिल मिल ही जाएगी... रोली...
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साजिशें रकीबों की जो ताड़ ली मैंने, बदनाम मुझे करके काफिर बना दिया...... ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ इतना खौफनाक ये मंज़र क्यों है हरेक हाथ में नुकीला खंजर क्यों है नफरत सीख ली क्या हर किसी ने, मोहब्बत से शहर ये बंजर क्यों है...... ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ कतरा के निकल जाते हैं जो आज, वो रकीब कभी हमसे मरासिम की दुहाई दिया करते थे..... -रोली.
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इक छोटी सी बात ना, समझ सका ये दिल... क्यों ज़माने की परवाह मुझसे, उन्हें ज्यादा है.... मेरी मोहब्बत का मुझे कुछ तो सिला मिले, क्यों हर वक़्त तुझसे शिकवा गिला मिले... -रोली..
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हवायें सारी रात खिड़कियाँ खड़खडाती रही मेरी आँखों से तेरी याद मेरी नींदें चुराती रही... उठा कर उनींदी पलकें,चाँद को ताकते पाया, चाँदनी कहानी मेरी, सितारों को सुनाती रही... झील के ठहरे हुए पानी सा थम गया वक़्त, दूर कहीं कोई माँ, बच्चे को लोरी सुनाती रही... हौले-हौले मोती बन के उतर आयी तेरी याद, बन के आँसू मेरी आँखों में समाती रही........ -रोली....
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अपनी उल्फत ज़माने से लाख छुपाती रही, तेरे सामने मेरी झुकी पलकें सब बताती रहीं, ये वो खुशबू है कि फूल हम छुपा भी लें गर, महक उस प्यार की फिजायें महकाती रही... -रोली...
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मेरे गम भी क्यों नहीं नित, डूब जाते संग सूरज के, और खुशियाँ जन्म लेतीं, फिर सुबह सूरज के साथ...... शाम ढलते ही सदा जैसे मेरा दर्द है बढ़ता जाता, मेरी पीड़ा को समेटे नित चली आती है रात.... स्वप्न मेरे हैं अकेले, है नहीं साया भी वहाँ, जिसको मै चाहूँ वहाँ, क्यों नहीं रहता वो साथ..... मेरे गम भी क्यों नहीं नित, डूब जाते संग सूरज के, और खुशियाँ जन्म लेतीं, फिर सुबह सूरज के साथ...... - रोली
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मन को बहलाना सरल नहीं, उद्दंड बड़ा, जिद पर अड़ा , इसको समझाना सरल नहीं ... माँगे हैं इसकी बड़ी अजब, इच्छाएं इसकी बड़ी गज़ब, इसको मनाना सरल नहीं.... तानाशाही ये सदा करे, माँगें अनुचित ये सदा धरे, इसको बरगलाना सरल नहीं.... ना जाने ये क्या चाहे, सच्चाई से ये क्यों भागे, मन को बहलाना सरल नहीं..... -रोली