सुरक्षा की गुहार निजी स्कूलों के लिए ही क्यों...!!!!
गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल में सात वर्षीय छात्र प्रद्युम्न की हत्या के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के निजी स्कूलों की जाँच करने का फैसला किया है । क्या देश के सारे बच्चे निजी स्कूलों में ही पढ़ते हैं ? या उनके अभिभावकों द्वारा मोटी फीस की अदायगी इसका महत्वपूर्ण कारण है ! यदि सरकारी स्कूलों की बात करें तो वैसी अव्यवस्था तो कहीं नहीं मिलेगी । हजारों गांवों में विद्यालय के नाम पर ऐसी दुर्दशा है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती । इमारत के नाम पर जर्जर भवन, शौचालय जैसी प्राथमिक आवश्यकता का अभाव, न साफ़ पानी की व्यवस्था, न ही शिक्षकों की, इसके बावज़ूद इन स्कूलों में लाखों बच्चे पढ़ते हैं । सरकार अपनी योजनाओं के तहत मिड डे मील जैसी सुविधाएँ प्रदान कर पल्ला झाड़ लेती है, किन्तु उस मिड डे मील के दुष्प्रभाव हम आये दिन अख़बारों में पढ़ते रहते हैं । कभी दूषित दलिया खा कर बच्चे बीमार हो जाते हैं कभी अस्पताल में भर्ती । ऐसे भी हज़ारों गाँव मिलेंगे जहाँ विद्यालय हैं ही नहीं , जिसके चलते बच्चे कई किलोमीटर की दूरी तय कर के विद्यालय जाते हैं, कहीं बीच में नदी पर पुल न होने के कारण तैर कर, नाव से या रस्सी...