इंसानियत.....

आदमी आदमी से क्या चाहता है... फकत इंसानियत और वफ़ा चाहता है साथ खेले जो बचपन से अब तक, बन ना जाये वे कहीं दुश्मन लहू के, बस एक यही हौसला चाहता है आदमी आदमी से क्या चाहता है.. खाई थी जिसके चूल्हे की रोटी, उसी आग से घर ना उसका जला दे, बस एक यही वायदा चाहता है... आदमी आदमी से क्या चाहता है.. खाई थी ईद में राम ने सेवई दीवाली में, रहीम ने गुझिया बस यही सब याद दिलाना चाहता है आदमी आदमी से क्या चाहता है.... रोज़े पे राम, पकवान ना खाता रहीम को भूख की, याद ना दिलाता नवरात्रि के फलहार में इधर, रहीम का हिस्सा घर पर आता, राम बस रहीम का साथ चाहता है, आदमी आदमी से क्या चाहता है... मंदिर-मस्जिद के इस मसले से, मज़हब पे राजनीति के हमले से, खुद को दूर, रखना चाहता है आदमी आदमी से क्या चाहता है..... फकत इंसानियत और वफ़ा चाहता है..... -रोली पाठक