
पलकों पे ख्वाब नहीं हैं तो अब मेरी रात नहीं होती पहले की तरह अब मेरी, मुझ से ही बात नहीं होती पहले तो अक्सर अपने साये से मिल लेते थे हम क्या कहें कि खुद से ही अब, मुलाक़ात नहीं होती........ - रोली
वो भावनाएं जो अभिव्यक्त नहीं हो पातीं वो शब्द जो ज़ुबाँ पे आने से कतराते हैं इन्द्रधनुष के वो रंग जो कैनवास पर तो उतर जाते हैं पर दिल में नहीं...वो विचार जो मस्तिष्क में उथल-पुथल मचाते हैं पर बाहर नहीं आ पाते... उन्हीं को अपनी रौशनाई में ढाल कर आवाज़ दी है शब्द दिए हैं...और इस ब्लॉग पर बिखेरा है..बस एक प्रयास है...कोशिश है..... मेरी ये.....आवाज़