पलकों पे ख्वाब नहीं हैं तो अब मेरी रात नहीं होती
पहले की तरह अब मेरी, मुझ से ही बात नहीं होती
पहले तो अक्सर अपने साये से मिल लेते थे हम
क्या कहें कि खुद से ही अब, मुलाक़ात नहीं होती........

- रोली

Comments

  1. आखिरी पंक्तियाँ बहुत ही खूबसूरत हैं।


    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद यशवंत जी....

      Delete
  2. Replies
    1. आभार संगीता दीदी.....बहुत दिन बाद आप आयीं मेरे ब्लॉग पर...धन्यवाद | :)

      Delete

Post a Comment

Popular posts from this blog

नन्हीं चिड़िया

जननि का महत्व

चिट्ठी ना कोई संदेश.…