कहाँ तुम चली गयी.....


 7 अप्रैल 2021

वो उड़ना जानती थी, पंख नहीं थे तो क्या, उसने आसमान में उड़ना सीखा। फ्लाइंग क्लब जॉइन करके आसमान की ऊंचाइयों को छुआ फिर वहीं उसे जीवनसाथी मिल गया और वो ज़मीन पर उतर आई। बेहद खूबसूरत, खुशमिजाज़, बिंदास, प्यारी, हँसमुख, पक्की सिखणी। बरसों पहले जब मैं पहली बार उसे मिली थी तब वो बला की खूबसूरत थी, एकदम स्टाइलिश। कम बोल रही थी, एकदम हाई-फाई लगी लेकिन अगली कुछ मुलाकातों में पाया कि वो बहुत ही सिम्पल और हम जैसी ही थी। उसे जानवरों से बेइंतहां प्यार था, इतना कि एक दिन उसके घर अपने पैर के पास एक छिपकली को देख कर मैं चीखी - झाड़ू लाओ, मारो इसे। वो उठी, डस्टिंग वाला कपड़ा लाई और छिपकली के ऊपर डाला, उसे पकड़ कर बाहर रख आई और बोली - ''क्यों मारो ! उस बेचारी ने तेरा क्या बिगाड़ा था !''

उसके घर कुत्ता, मछलियां, तोते सब हैं।

बाहर की चिड़ियों के लिये दाना-पानी, गली के कुत्तों के लिये रोज शाम को खाना देना, नंदिनी गौ शाला में जा कर गायों की खोज खबर लेते रहना, लॉकडाउन में सड़क के जानवरों के लिए उसने खूब दाना-पानी दिया..यह सब उसकी दिनचर्या में शामिल था।

उसके दोस्त उसके दिल के धड़कन थे। चुनिन्दा दोस्त थे। उसका पसन्दीदा काम था - पार्टी । किसी बहाने बस फ्रेंड्स इकट्ठा हों, मस्ती करें, सुख-दुःख बांटें । 

सबसे ज्यादा डरती थी वो कोरोना से। हम सहेलियाँ मिलते तो वो मास्क लगाकर चुपचाप बैठी रहती। भयानक खौफ़ था उसे कोरोना का। 

25 अप्रैल को जब उसने बताया कि वो पॉजिटिव हो गई है, तब उसकी आवाज़ में छुपा डर मैं महसूस कर पा रही थी। हमने उसे बहुत समझाया, रोज उससे बात करते, उसे मेसेज करते। वो 5 दिन बाद अस्पताल पहुँच गई, फिर ऑक्सिजन लगी, फिर हाई फ्लो ऑक्सीजन फिर अचानक वेंटिलेटर।

मैं रोज उसे वीडियो कॉल करती। उसके ऑक्सीजन मास्क लगा रहता। वो आईसीयू के बिस्तर पर बैठी रहती और फटी-फटी आँखों से बस देखती रहती। मैं उसे कहती - तुम कुछ मत बोलो। बस सुनो - तुम जल्दी अच्छी हो जाओगी। घर आना है। हमें फिर मिलना है। 

वो बस सुनती। सिर हिलाती।

कल 7 मई को सुबह 10.30 बजे से रात 10 बजे तक उसे एक के बाद एक 6 हार्ट अटैक आये। बेचारा दिल ही तो था, कितना झेल पाता.. और रात 10.30 बजे सबसे अविश्वसनीय और दिल दहलाने वाली खबर आई -

मनजीत नहीं रही।


मनजीत, तुम्हारे गाने, तुम्हारी बातें, तुम्हारी दोस्ती, तुम्हारा प्यार और तुम हमेशा दिल मे रहोगे। तुम अपने पापा-मम्मी से मिल कर खुश होगी लेकिन तुम्हारी दोनों बेटियों ने कितनी जल्दी अपनी प्यारी माँ को खो दिया, वो तो आखरी वक़्त तुम्हें देख भी नहीं पायीं, ऑस्ट्रेलिया से आ ही नहीं पायीं लेकिन हम भी तो नहीं मिल पाए, आज तुम अस्पताल के एक बिस्तर पर पॉलीथिन में कैद हो और हम सब अपने अपने घर में अपनी बेबसी पर रो रहे हैं।

तुम्हारा ब्रूनो गेट पर  उदास बैठा है, तोते पिंजरे में शोर मचा रहे हैं, मछलियाँ एक्वेरियम में बेचैन हैं कि मानो वो भी जान गए कि अब तुम नहीं हो।

बस कुछ घंटे और.... फिर तुम आज़ाद हो जाओगी, उन्मुक्त गगन में। 

ईश्वर तुम्हारी बेचैन आत्मा को शांति दें।

🙏


- रोली

Comments

Popular posts from this blog

जननि का महत्व

पापा

भीगी यादें