याद....
धुली-धुली सी,उजली-उजली...
पानी में, बहती-बहती सी...
ख्वाबों में,डूबी-डूबी सी...
अश्कों में, लिपटी-लिपटी सी....
पीड़ा में, सिमटी-सिमटी सी.....
भीड़ में मुझको, तनहा करती....
तन्हाई में, रुसवा करती.....
यहीं-कहीं तेरे होने का,
मुझको है अहसास कराती.....
तेरी भीनी सी खुश्बू से ,
मुझको अक्सर ही महकाती....
अधरों पे,स्मित ले आती...
नैनो में, नीर भर जाती.....
सावन की, बूंदों सी शीतल....
तन-मन, भिगो-भिगो ये जाती....
जब-जब तेरी याद है आती....
जब-जब तेरी याद सताती...
रोली पाठक...
http://wwwrolipathak.blogspot.com/..
bahut hi pravahmayi rachna..
ReplyDeletetathya aur kathya dono sunder..
वाह! बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति ....बहुत दिनों बाद कुछ पोस्ट किया है ..
ReplyDeleteसुरेन्द्र सिंह जी...बहुत-बहुत धन्यवाद.....
ReplyDeleteवंदना जी...आभार....
संगीता जी, आप सही कह रही हैं....बहुत दिन बाद कुछ लिखा है....आपके शब्द सदा ही उत्साहवर्धन करते हैं.... :) शुक्रिया.
यांदे याद आती हे ...कभी हँसती हे आँखे कभी भीग जाती हे ,यांदे जब याद आती हे ......सुंदर अभियक्ति
ReplyDeleteप्रवेश दी, शुक्रिया...मेरे ब्लॉग पर आने का :)
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