अक्षर-अक्षर पिरो-पिरो कर
याद तेरी दिल में संजो कर...
सोच-सोच कर,कुछ शर्मा कर ....
सकुचा कर और बड़े जतन कर,
आज तुम्हें एक पत्र लिखा है....
प्रिये, तुम्हें एक पत्र लिखा है...
याद तेरी दिल में संजो कर...
सोच-सोच कर,कुछ शर्मा कर ....
सकुचा कर और बड़े जतन कर,
आज तुम्हें एक पत्र लिखा है....
प्रिये, तुम्हें एक पत्र लिखा है...
विरह की काली रातों का,
भूली बिसरी बातों का,
तेरी दी सौगातों का,
सावन की बरसातों का,
इस पाती में वर्णन है....
स्याही बने मोती अंसुअन के,
कागज़ कोरा ह्रदय था मेरा,
तेरे ख़याल,अक्षर बन उतरे,
जार-जार रोया मन मेरा....
मेरा यही समर्पण है....
भूली बिसरी बातों का,
तेरी दी सौगातों का,
सावन की बरसातों का,
इस पाती में वर्णन है....
स्याही बने मोती अंसुअन के,
कागज़ कोरा ह्रदय था मेरा,
तेरे ख़याल,अक्षर बन उतरे,
जार-जार रोया मन मेरा....
मेरा यही समर्पण है....
आज तुम्हें एक पत्र लिखा है....
प्रिये, तुम्हें एक पत्र लिखा है....
प्रिये, तुम्हें एक पत्र लिखा है....
बहुत खूबसूरत भाव हैं रचना के ..
ReplyDeleteस्याही बने मोती अंसुअन के,
कागज़ कोरा ह्रदय था मेरा,
तेरे ख़याल,अक्षर बन उतरे,
जार-जार रोया मन मेरा....
मेरा यही समर्पण है....
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
बेहद खूब सूरत कविता है.
ReplyDeleteसादर
बहुत अच्छी लगी यह कविता।
ReplyDeleteबेहतरीन प्यार की अभिवक्ति....
ReplyDeleteआपने बहुत सुन्दर गीत लिखा है | मैंने अपने ब्लॉग पर ख़त शीर्षक से कुछ कविताएँ संकलित की हैं | आप भी अपना गीत दे दें, अच्छा लगेगा | धन्यवाद |
ReplyDeleteअमरनाथ जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद......
ReplyDeleteआप जो रचना चाहें अपने ब्लॉग के लिए ले लें....
मुझे प्रसन्नता होगी |
आदरणीय संगीता जी, मनोज जी, सुषमा जी, यशवंत जी....
ReplyDeleteआप सभी को ह्रदय से धन्यवाद.....