मेरे गमले के एक पौधे में नन्ही सी चिड़िया टेलर बर्ड ने दर्ज़ी की तरह कुशलता से धागों से सिलाई कर, पत्तियों को जोड़-जोड़ के घास-फ़ूस, तिनके पिरो के खूबसूरत सा घोंसला बनाया। कुछ दिन बाद उसमें लाल रंग के चार छोटे-छोटे अंडे नज़र आये। आँधी, तूफ़ान और बारिश से वह डाल ज़ोर ज़ोर से हिलती और मैं बीच-बीच में उन्हें देखती रहती, ज़्यादा पास जाने या मदद करने का मन होते हुये भी नहीं जाती क्योंकि नन्ही चिड़िया घबरा के उड़ जाती थी लगभग दस-बारह दिन बाद घोंसले में झाँका तो देखा वहाँ ज़िंदगी ने कदम रख दिये थे, अत्यंत छोटे मांस के लोथड़े से बच्चे नज़र आये । मैं दूर से देखती मादा और नर चिड़िया बारी-बारी से चोंच में छोटे कीट, पतंगे, इल्ली आदि दबा कर लाते और भूखे बच्चों के खुले मुँह में डाल देते । प्रकृति की लीला अपरंपार है । कुछ दिन में ये बड़े हो कर उड़ना सीखेंगे जो इन्हें माँ ही सिखायेगी और ये भी कुदरत से संघर्ष कर जीना सीख जाएँगे, विशाल नील गगन में उड़ेंगे, पेड़ों की डालों में झूमेंगे, कलरव करेंगे और ये नन्हा सा घरौंदा ख़ाली हो जाएगा । ये सभी चित्र मेरे द्वारा लिए गये हैं । - रोली पाठक
हर एहसास को लफ़्ज़ों की जरूरत नहीं होती ,
ReplyDeleteगर होती न मोहब्बत तो जिन्दगी ,
इतनी खूबसूरत नहीं होती ....
बहुत खूब, दो पंक्तियों में सारी जिन्दगी का सार, आभार
बहुत बढ़िया रोली जी।
ReplyDeleteसादर
खुबसूरत एहसासों से रची रचना....
ReplyDeletebhaut hi badiya....
ReplyDeleteज़माने का है उसूल, मोहब्बत को रोकना,
ReplyDeleteतेरे लिए जो लड़ लूँ, वो बगावत नहीं होती..
हर अहसास को लफ़्ज़ों की ज़रूरत नहीं होती...
खूबसूरत एहसास से रची सुन्दर रचना
"हर एहसास को लफ़्ज़ों की जरूरत नहीं होती"
ReplyDeleteबहुत खूब
यशवंत जी, सुषमा जी, सागर जी, राकेश जी, संगीता जी, शुक्ला जी.....
ReplyDeleteआप सभी को हार्दिक धन्यवाद..
ahsas ko lafjon ki jaroorat nahee hoti,
ReplyDeleteso nice feeling..thanks Roliji.
Thanks Sushila ji...
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