
सोचती थी ,मन में मेरे , प्रेम शायद अब नहीं है , भूल थी वो, कैसे हो ये, जबकि तन में बसा ह्रदय है, ना यहाँ बंधन वयस का, ना ही वर्षों का समय है , तेरा न होना ही बस इक, मेरे जीवन का तमस है ..... साथ चाहूँ मै तुम्हारा, तुम सूर्य बन हरते रहो तम, धरा और किरणों का तुम्हारी, जैसे हो रहा समागम........... -रोली