नवांकुर


 धरती में कहीं गहरे में
एक बीज बोया हुआ...
गुमनाम अँधेरे में
सुप्त सोया हुआ...
अस्तित्व नहीं भीतर,
किन्तु बाहर है जीवन ..
अंदर है सिर्फ तम,
मिट्टी सर्द और नम ...
सूर्य की किरणों संग
चमकते उजाले में,
चौंधियाती आँखों को,
झपकते-मलते हुए
फूटा बीज से अंकुर
झाँक रहा बाहर,
नव गति, नव चेतना संग
संघर्ष करने जीवन से
आ गया नवांकुर |

- रोली

Comments

  1. यशवंत जी...बहुत-बहुत धन्यवाद |

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