प्रेम-गीत

प्रेम एक अभिशाप है
एक दर्द भरा सपना है 

मौन रह कर पुण्य चिता में 
तिल-तिल कर तपना है 

बन गया जीवन पराजय 
और क्रंदन की  कहानी 
किस तरह मै मौन रहूँ 
और सुने तू मेरी मूकवाणी 

अब तुम्हारे प्रेम का 
स्पर्श ही मेरी जीत है 
मेरे इस व्यथित ह्रदय की
मुक्ति का संगीत है 

दूर रह कर भी मैंने 
तुमसे मिलन का स्वप्न गढ़ा
जितनी तुमने व्याकुलता दी 
उतना तुम पर विश्वास बढ़ा
उतना तुम पर विश्वास बढ़ा … 

- रोली पाठक 

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