सबसे बड़ा रुपैया

फिर चरम पे है आई.पी.एल. यानि इंडियन प्रीमिअर लीग का खुमार!
फिर हो चुकी शीर्ष स्तर के क्रिकेट खिलाडियों की नीलामी! बिक चुके ये
चोटी के खिलाडी कहीं किसी उद्योगपति के हाथों तो कहीं किसी फिल्म
सितारे के हाथों!एक बार फिर होंगे आई.पी.एल. के मैच!हर चौके-छक्के पे
बार बालाओं की तरह संगीत की धुन पर थिरकती अर्धनग्न सुंदरियां,
जिन्हें विरोध के बाद भूल-सुधार करते हुए ढंग के कपडे पहनाये जाने लगे हैं!
क्रिकेट जैसे स्तरीय खेल का स्वरुप ही बिगाड़ दिया गया है!भारतीय टीम के
चमकते सितारे जब आठ अलग-अलग टीमो में बँट जाते हैं तब मानो उनकी
एकता भी छिन्न-भिन्न हो जाती है!पिछले आई.पी.एल. मैचों में उपजे विवाद
के ज़ख्म आज भी नासूर की तरह हैं जिन्हें गाहे-बगाहे न्यूज़ चेनल वाले
दिखा-दिखा के उन्हें हरा करते रहते हैं!हरभजन सिंग का चांटा आज भी
उनके करीबी मित्र श्री संत को यादहोगा, सौरव गांगुली जैसे धीर-गंभीर
खिलाडी के खिलाफ शेन वार्न के ज़हरीले बयान भुलाये नहीं जा सकते!
ये कैसा टूर्नामेंट है, न खिलाड़ियों में खेल भावना है न एक दूसरे के प्रति
सम्मान!पंजाब इलेवन की प्रीटी ज़िंटा युवराज सिंग को मैदान में गले
लगा लगा केचीअर अप करती थीं !भारतीय टीम जब ग्यारह खिलाड़ियों के
साथ दूसरे देश के विरुद्ध मैदान मेंउतरती है तब दर्शकों का उत्साह देखते
ही बनता है!
नाम भले ही दिल्ली डेयर डेविल्स या चेन्नई सुपर किंग्स रख दिया जाये
लेकिन क्या महेंद्र सिंगधोनी का कैच वीरेंद्र सहवाग लेके उन्हें आउट करें
तो दर्शक ताली बजा पाएंगे??इस खेल का एकमात्र सकारात्मक पक्ष यही है
कि कई नए खिलाडियों को न केवल अपने देश के बल्कि दूसरे देशों के भी
शीर्ष स्तर के खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिलता है !
यूँ भी क्रिकेट खिलाडियों के पास धन कि कमी नहीं है, खेल से,
विज्ञापनों से एवं अन्य कार्यक्रमोंमें शिरकत करके आज के खिलाड़ी
अल्प समय में ही करोडपति बन जाते हैं, ऐसे में आई.पी.एल.
टूर्नामेंट के नाम पे फ़िल्मी सितारों एवं उद्योगपतियों के हाथो बोली
लगवा के नीलाम होना कहाँ तक उचित है?आई.पी.एल. महज पैसों का खेल है
इससे ज्यादा कुछ नहीं!शाहरुख़ खान,विजय माल्या, प्रीटी ज़िंटा
जैसे फिल्मी सितारों व उद्योगपतियों को इस खेल से कोई लेना-देना नहीं है!
वे सब तो पैसों का दांव खेल रहे हैं मुफ्त की पब्लिसिटी बटोर रहे हैं,
न्यूज़ चेनल वालों को २४ घंटेदिखने के लिए ख़बरें मिल रहीहैं!
मनोरंजन के नाम पे दर्शक क्रिकेट प्लेयर्स के साथ फ़िल्मी सितारों को
व सुन्दर बालाओं के नृत्य को देख के खुश हैं !
न्यूज़ चेनल इन मैचों से जुड़े विवादों को चटपटा कर
उनका तड़का आई.पी.एल. में लगाते हैं!
इन सबके कारन नुक्सान हो रहा हैक्रिकेट जैसे खेल का,
जिसका स्वरुप बिगड़ के महज ग्लैमर, पैसा, नाच-गाने,
विज्ञापन,विवाद आदि तक सिमट के रह गया है !आई.पी.एल.
जैसे टूर्नामेंट करने ही हैं तो चेरिटी के लिए हों,ये नीलामी क्यों??
कभी राजस्थान के पुष्कर मेले में जाइयेवहां भी ऐसी ही नीलामी होती है !
फर्क इतना है वहां जानवरों की और यहाँ करोडपति-अरबपति सर्वश्रेष्ठ
खिलाडियों की !

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