म्रत्युदंड .....


मौत का भय...
होता है कितना भयावह,
अपने अंतर्मन को कचोटता,
ह्रदयगति को सहेजता,
कांपते पैरो पर
खड़ा लडखडाता
चुचुआती पसीने की
बूंदों को पोंछता
होंठो की थरथराहट
अँगुलियों की कंपकंपाहट
को काबू करने का
असफल प्रयत्न करता...
काल को प्रत्यक्ष खड़ा देख..
मन-ही-मन अपने गुनाह...
दोहराता..
रक्तरंजित शवो के ढेर,
उनके परिजनों के विलाप को
याद करता ..
दिख रहा है उसे एक काला कपडा,
एक फांसी का फंदा और
एक जल्लाद...
अपनी तरह ही, जो उसका भी,
क्रूरता से वैसे ही अंत करेगा
जैसा उसने निर्दोषों का किया...
तभी पिघले सीसे सी आवाज़ आई
उसे म्रत्युदंड दिया गया....
या अल्लाह....
कहाँ गए मेरे वो खैरख्वाह...
देते थे जो मोटी तनख्वाह...
कहते थे तू जेहादी है...
चाहते हम आज़ादी हैं,
जो तू ही हमें दिलाएगा..
इस सबाब के काम में,
सीधा जन्नत जायेगा..
या अल्लाह...
इस दोज़ख से मुझे बचाओ..
जेहाद की इस जंग से,
सबको निजात दिलाओ..
मुझे तो दे दी सजा...
उनका क्या, जो फिर कई गर्दने
तैयार कर रहे हैं...
जिनके कारण हम सब
सूली पर चढ़ रहे हैं...
एक "अजमल कसाब"मर भी गया तो क्या होगा...
जड़ें खोदो उनकी,
जिनके कारण निर्दोष मर रहे हैं..................
-रोली पाठक
http://wwwrolipathak.blogspot.com

Comments

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी....

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  2. जीवन की विडंबनाओ को दर्शाती के उत्तम रचना...

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  3. मनोज जी, चिटठा-चर्चा में मेरी कविता को स्थान देने के लिए आभारी हूँ...धन्यवाद.

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  4. संजय जी, सराहना के लिए धन्यवाद...

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  5. "सम्वेदनशील एवं कई प्रश्नों को उठाती कविता जिनका कोई उत्तर नहीं है फिलहाल । मेरे ख्याल से कसाब को आगामी एक साल तक वे तमाम सुविधाएँ देना चाहिये जिनकी दरकार हर आदमी को होती है उसके बाद फिर उसे मृत्युदंड देना चाहिये ताकि उसे इस ज़िन्दगी का अहसास हो, ताकि उसे पता चल सके कि जीवन कितना अनमोल होता है...."

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  6. ...और इस निहंग साधु का क्या कहना वाह!

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  7. gajab ki kavita...philhaal to dur dur tak kasab ko fansi mile esa kam hi pratit hota hain..par phir bhi saja sunana bhi ek achha kadam kaha ja skta hain.

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  8. डिम्पल जी, प्रणव जी प्रशंसा के लिए धन्यवाद...
    प्रणव जी, अभी उच्च-न्यायलय, उच्चतम-न्यायलय
    फिर राष्ट्रपति जी के समक्ष......इस पूरी प्रक्रिया में
    बरसों लगेंगे! तब तक कारागार में कसाब को एहसास
    हो जायेगा कि उसने कितना जघन्य अपराध किया है!

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  9. केवल सजा मिलने से क्या होगा फांसी होगी भी या नहीं पता नहीं
    नपुंसक सरकार भरोसा अन्धा चहिए,,,
    लोकतंत्र बीमार भरोसा अन्धा चहिए,,,
    जनता है लाचार भरोसा अन्धा चहिए,,,
    होगा कभी सुधार भरोसा अन्धा चहिए,,,
    सादर
    प्रवीण पथिक
    9971969084

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  10. बहुत अच्छे...प्रवीण जी, सही कहा आपने..लेकिन फिर भी हमे देश कि न्यायिक-प्रक्रिया के अनुसार चलना होगा,
    अरुणेश जी, एक बार पुनः उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद.

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  11. the whole procedure is some how meddled with politics and we all know that politics corrupts the mind.

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  12. मैं अपर्ना भटनागर जैसे विचार रखता हूं। अजमल कसाब हो या अफ़जल गुरु,सुप्रिमकोर्ट के फ़ैसले के बावजूद कांग्रेस ऐसे जघन्य कृत्य के अपराधियों के मामले अपने वोट बैंक के हिसाब से ही निपटेगी।

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  13. yes Aparna ji and Alok ji, everybody knows polititions save their vote bank first. They don't care about public, society and even country, But we have faith in our judiciary, In our country, everyone get chance to prove him or her innocent, Although we all know Kasaab is guilty...but we have to follow the system.

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  14. Rajeev ji,
    Thank you. As you have asked me I have clicked that button "NO"

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  15. utkrisht rachna. kathya aur shalee dono prabhit kartee hai....

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  16. pz read "shailee". there was a typing mistake in earlier comment.

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  17. Thank u Ranjeet ji...Thanks for good comments.

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