सलोना...
बंदूकें गुड़िया गुड्डे मोटर
उछल-उछल के नाचता बन्दर
टूटे फूटे खिलौनों को
कचरा समझ खिलौनों को
भर कर एक झोले में
कामवाली बाई के सलोनो को
दे कर खुश है माँ और छोटा बेटा,
माँ घर की सफाई से
बेटा नए खिलौनों के वादे से
बाई भी खुश है अपने सलोने की मुस्कान सोच कर...
रात को बेटा खेल रहा है
लिओ टौयेस और फन स्कूल से
माँ नए रंगीन महंगे खिलौनों को
सजा रही है कमरे में
उधर बाई के घर में भी
गूँज रही है किलकारी
टूटी हुई गुडिया भी लग रही है
उसे सबसे प्यारी
बन्दर की एक आँख नहीं है
मोटर है जो चलती नहीं
बन्दूक जो बस बन्दूक ही है
इन टूटे फूटे खिलौनों को सजा रहा है सलोना
किसी के घर के कचरे से
महक रहा है इस घर का कोना कोना........
उछल-उछल के नाचता बन्दर
टूटे फूटे खिलौनों को
कचरा समझ खिलौनों को
भर कर एक झोले में
कामवाली बाई के सलोनो को
दे कर खुश है माँ और छोटा बेटा,
माँ घर की सफाई से
बेटा नए खिलौनों के वादे से
बाई भी खुश है अपने सलोने की मुस्कान सोच कर...
रात को बेटा खेल रहा है
लिओ टौयेस और फन स्कूल से
माँ नए रंगीन महंगे खिलौनों को
सजा रही है कमरे में
उधर बाई के घर में भी
गूँज रही है किलकारी
टूटी हुई गुडिया भी लग रही है
उसे सबसे प्यारी
बन्दर की एक आँख नहीं है
मोटर है जो चलती नहीं
बन्दूक जो बस बन्दूक ही है
इन टूटे फूटे खिलौनों को सजा रहा है सलोना
किसी के घर के कचरे से
महक रहा है इस घर का कोना कोना........
ये कविता मैंने तब लिखी थी जब मै
ReplyDelete११ वीं कक्षा में पढ़ती थी...कुछ शब्द
इधर-उधर अवश्य किये हैं.........
This is good... Keep it up......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव.... सार्थक रचना
ReplyDeleteबहुत बढि़या ।
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