उलझन.......
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विवाह उपरान्त
प्रथम सावन.....
सीप से
स्वप्निल नयन
बात जोहते,
मन-ही-मन
आये पाती बाबुल की,
आ रहा रक्षाबंधन...
पीहर की देहरी बुला रही,
माँ गीत ख़ुशी के गा रही,
सखियाँ मेहँदी लगा रहीं,
मै पुलकित होती
प्रथम सावन.....
सीप से
स्वप्निल नयन
बात जोहते,
मन-ही-मन
आये पाती बाबुल की,
आ रहा रक्षाबंधन...
पीहर की देहरी बुला रही,
माँ गीत ख़ुशी के गा रही,
सखियाँ मेहँदी लगा रहीं,
मै पुलकित होती
मन-ही-मन...
विवाह उपरांत
प्रथम सावन......
जाने का उल्लास बहुत है,
बँटा-बँटा सा ह्रदय पर अब है,
आते जब-जब सामने साजन,
तन-मन होता उन्हें समर्पण,
है उधेड़बुन में चंचल मन.....
विवाह उपरांत,
प्रथम सावन.........
जाना है होते ही भोर,
दे रहीं सदायें रेशम की डोर,
क्यों भीग रहे नैनो के कोर,
भीतर भी बरस रहा इक सावन...
कितना अदभुत है ये बंधन..
सोच रहा अनुरागी मन.
विवाह उपरान्त,
प्रथम सावन..........
- रोली पाठक
http://wwwrolipathak.blogspot.com/
विवाह उपरांत
प्रथम सावन......
जाने का उल्लास बहुत है,
बँटा-बँटा सा ह्रदय पर अब है,
आते जब-जब सामने साजन,
तन-मन होता उन्हें समर्पण,
है उधेड़बुन में चंचल मन.....
विवाह उपरांत,
प्रथम सावन.........
जाना है होते ही भोर,
दे रहीं सदायें रेशम की डोर,
क्यों भीग रहे नैनो के कोर,
भीतर भी बरस रहा इक सावन...
कितना अदभुत है ये बंधन..
सोच रहा अनुरागी मन.
विवाह उपरान्त,
प्रथम सावन..........
- रोली पाठक
http://wwwrolipathak.blogspot.com/
bahut khub likha hai aapne
ReplyDeletemanobhavo ka sunder chitran wah
visit my blog
mayurji.blogspot.com
बहुत सुंदर भाव युक्त कविता
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteachcha chitran hai manobhav ka ........
ReplyDeletekhubsurat shabd
ReplyDeleteआप सभी मित्रों का ह्रदय से आभार.... धन्यवाद
ReplyDeletesateek shabd chitran .... wah !
ReplyDeleteआपने तो पहला सावन महसूस किया है,
ReplyDeleteआपसे ज्यादा इसका चित्रण कोन कर सकता है,
आपका चित्रण एकदम सही है,