अपनों के दिए ज़ख्म अक्सर
नासूर बन जाते हैं....
 वक्त ही होता है मरहम 
इस तरह के ज़ख्म का...
शूल से चुभ के दिल में जो,
जिंदगी में उतर आते हैं....
-रोली......

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