साजिशें रकीबों की जो ताड़ ली मैंने,
बदनाम मुझे करके काफिर बना दिया......

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इतना खौफनाक ये मंज़र क्यों है
हरेक हाथ में नुकीला खंजर क्यों है
नफरत सीख ली क्या हर किसी ने,
मोहब्बत से शहर ये बंजर क्यों है......

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कतरा के निकल जाते हैं जो आज, वो रकीब
कभी हमसे मरासिम की दुहाई दिया करते थे.....

-रोली.

Comments

  1. बहुत खूब लिखा है...Roli Ji

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