लहू सर्द हो कर जम गया ......
कहने को हममे अब भी जान बाकी है
सर कलम कर के वो ज़ालिम ले गए,
ना जाने अब कौन सा इम्तेहान बाकी है
- रोली
( सीमा पर दो जवानों के सर काट दिए गए । सादर श्रृद्धांजलि )
वो भावनाएं जो अभिव्यक्त नहीं हो पातीं वो शब्द जो ज़ुबाँ पे आने से कतराते हैं इन्द्रधनुष के वो रंग जो कैनवास पर तो उतर जाते हैं पर दिल में नहीं...वो विचार जो मस्तिष्क में उथल-पुथल मचाते हैं पर बाहर नहीं आ पाते... उन्हीं को अपनी रौशनाई में ढाल कर आवाज़ दी है शब्द दिए हैं...और इस ब्लॉग पर बिखेरा है..बस एक प्रयास है...कोशिश है..... मेरी ये.....आवाज़
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