खामोश सर्द शाम आती है तेरे ख़याल लेकर
उनकी गर्माहट में हम तो डूबते ही जाते हैं
अलाव की आंच भी बुझ जाती है और हम
ठंडी राख में तेरी गुनगुनी यादों को पाते हैं

- रोली


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