निवेदन..........
आओ तनिक तुम मेरा श्रृंगार कर दो
इन लजीले रीते-रीते से नयनों में
साकार हों ऐसे कुछ स्वप्न भर दो
आओ तनिक तुम मेरा श्रृंगार कर दो...
देखो ये आँचल बड़ा बेरंग सा है
टेसू के कुछ फूल ला कर इसे रंग दो
आओ तनिक तुम मेरा श्रंगार कर दो....
मेरे तन सजता नहीं है इक भी गहना
चाँद-सूरज ला के इन कुंडल में जड़ दो
आओ तनिक तुम मेरा श्रृंगार कर दो....
पलकों पे कुछ ओस की बूँदें सजी हैं
तुम गए, तबसे ये नयनों में बसी हैं
काली घटाओं का काजल इनमे रच दो
आओ तनिक तुम मेरा श्रंगार कर दो...
व्यथित हूँ पायल मेरी बजती नहीं है
अपने चंद गीत इन घुंघरू में भर दो
आओ तनिक तुम मेरा श्रंगार कर दो....
शुष्क से मेरे इस मरू ह्रदय को...
प्रेम की बूंदों से तुम अभिसिंचित कर दो
आओ तनिक तुम मेरा श्रृंगार कर दो.....
-रोली पाठक
http://wwwrolipathak.blogspot.com/
व्यथित हूँ पायल मेरी बजती नहीं है
ReplyDeleteअपने चंद गीत इन घुंघरू में भर दो..awesome
"श्रंगारिक कविता कभी लिखी नहीं कभी कुछ मिलता- जुलता लिखा भी तो बेहद कठोर शब्दों का उपयोग किया, पर इस कविता के भाव बेहद कोमल है और शब्द सुन्दर............"
ReplyDeleteamitraghat.blogspot.com