दिल......

 बड़ा गुस्ताख है,
नादान है, मासूम है,
कभी मगरूर है, मसरूफ है,
कभी मजलूम है....
कभी है बेवफा,
तो कभी जां-निसार है,
कभी उजड़ा चमन,
तो कभी मौसमे-बहार है,
कभी लगता है अपना,
तो कभी बेगाना है ये,
थोडा सा पागल,
थोडा दीवाना है ये,
कभी नटखट सा इक बच्चा,
कभी सयाना है ये,
कभी खामोश और तनहा,
कभी कातिल है...
क्या करें कि फिर भी
दिल आखिर दिल है...........
दिल आखिर दिल है.............

-रोली...

Comments

  1. दिल आखिर दिल है ...सही कह रही हैं आप।

    सादर

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  2. दिल तो है दिल दिल का एतबार क्या कीजिये..... सुन्दर...

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  3. धन्यवाद यशवंत जी एवं सुषमा जी...

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  4. खूबसूरत रचना , बहुत सुन्दर

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  5. शुक्रिया शुक्ला जी......आभार..

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  6. बहुत खूब - दिल तो बच्चा है जी

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  7. कल 12/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. यशवंत जी ,बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार...........

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  9. बहुत ही बढि़या ।

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  10. सुंदर और दिल को छु लेने वाली रचना ,शुभकामनाए

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  11. दिल तो दिल है ...बहुत खूब

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  12. सदा जी, वंदना जी, प्रवीणा जी, हबीब जी, रेखा जी....बहुत बहुत धन्यवाद....

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  13. Sach hai DIL TO AAKHIR DIL HAI....bahut khoob...

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  14. Dil ki baat Dil ke sath hi ki ja sakti hai. bahut sundar rachna hai Roli Bahan

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