शब्दों के मानिंद वो,
मन में उतर गयी....
ख्वाबों सी आ कर वो
पलकों में बस गयी.....
अहसास तब हुआ,
उसके पास होने का,
मोती बनके वो ,
मेरी आँखों से गिर गयी......
वो भावनाएं जो अभिव्यक्त नहीं हो पातीं वो शब्द जो ज़ुबाँ पे आने से कतराते हैं इन्द्रधनुष के वो रंग जो कैनवास पर तो उतर जाते हैं पर दिल में नहीं...वो विचार जो मस्तिष्क में उथल-पुथल मचाते हैं पर बाहर नहीं आ पाते... उन्हीं को अपनी रौशनाई में ढाल कर आवाज़ दी है शब्द दिए हैं...और इस ब्लॉग पर बिखेरा है..बस एक प्रयास है...कोशिश है..... मेरी ये.....आवाज़
क्या बात है...बहुत ही बढ़िया!
ReplyDeleteसादर
THANKS YASHVANT JI.....
ReplyDeleteखूबसूरत एहसास
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी.. :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव..सुन्दर रचना..
ReplyDeleteधन्यवाद शर्मा जी.......
ReplyDeleteआपने कितनी सजगता से अपने भावों को अभिव्यक्त किया है ..और शब्दों का चयन इस भाव को और भी ग्राह्य बना देता है ...आपका आभार
ReplyDeleteधन्यवाद राम जी......रचना पसंद आई आपको, अच्छा लगा...
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