आज है होलिका-दहन,
आओ इसकी ज्वाला में,
स्वाहा कर दें अहंकार,
क्रोध, स्वार्थ, अभिमान..
किन्तु ना दें पीड़ा,
किसी वृक्ष को..
ना करें आहत ,
उसका तन....
गगन चुम्बी ज्वाला,
ही नहीं है दहन होलिका का,
चंद लकड़ियाँ, सूखे पर्ण, कंडे,
भी कर देंगे होलिका दहन,
प्रतीकात्मक दहन,
ही है उत्तम,
बचाना है यदि,
हमें पर्यावरण.....
होली भी खूब मनाएंगे,
सबके तन-मन पर,
रंगीन गुलाल लगायेंगे....
सोचो उनके भी बारे में,
मीलों जाते जो लेने पानी,
वर्तमान ही नहीं,
भविष्य की भी रखनी होगी
हमें सावधानी....
सर्वोत्तम है तिलक होली,
संग अबीर के लगायें,
माथे पर रोली.....
यही होगी प्रेम की होली...
सौहाद्र की होली....
मानवता की होली....
परमार्थ की होली.....
***सभी प्यारे मित्रों को होली की रंग-बिरंगी शुभकामनाएँ....
आइये...मनाएं सिर्फ तिलक होली...अबीर-गुलाल की होली...
आओ इसकी ज्वाला में,
स्वाहा कर दें अहंकार,
क्रोध, स्वार्थ, अभिमान..
किन्तु ना दें पीड़ा,
किसी वृक्ष को..
ना करें आहत ,
उसका तन....
गगन चुम्बी ज्वाला,
ही नहीं है दहन होलिका का,
चंद लकड़ियाँ, सूखे पर्ण, कंडे,
भी कर देंगे होलिका दहन,
प्रतीकात्मक दहन,
ही है उत्तम,
बचाना है यदि,
हमें पर्यावरण.....
होली भी खूब मनाएंगे,
सबके तन-मन पर,
रंगीन गुलाल लगायेंगे....
सोचो उनके भी बारे में,
मीलों जाते जो लेने पानी,
वर्तमान ही नहीं,
भविष्य की भी रखनी होगी
हमें सावधानी....
सर्वोत्तम है तिलक होली,
संग अबीर के लगायें,
माथे पर रोली.....
यही होगी प्रेम की होली...
सौहाद्र की होली....
मानवता की होली....
परमार्थ की होली.....
***सभी प्यारे मित्रों को होली की रंग-बिरंगी शुभकामनाएँ....
आइये...मनाएं सिर्फ तिलक होली...अबीर-गुलाल की होली...
होली की सपरिवार हार्दिक बधाई
ReplyDeleteरंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
ReplyDeleteकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
संजय जी...आपको भी होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ.... :)
ReplyDeleteबहुत सार्थक सन्देश दिया है ...
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ
होली की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
सुंदर संदेश
ReplyDeleteरोली पाठक जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
होली भी , संदेश भी !
संयम भी ! परंपरा निर्वहन भी !
सर्वोत्तम है तिलक होली !
संग अबीर के लगाएं
माथे पर रोली…
यही होगी प्रेम की होली…
सौहार्द की होली…
मानवता की होली…
परमार्थ की होली… !!
अच्छी रचना है …
हार्दिक बधाई !
होली तो हो ली … :) फिर भी शुभकामनाओं का अवसर नहीं खोना चाहिए …
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
संगीता जी, कैलाश जी, अजय जी, राजेन्द्र जी......आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteसंगीता जी, चर्चा मंच में एक बार पुनः मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार.... _/\_