काँच सा नाज़ुक रिश्ता था,
टूटा तो आवाज़ भी ना आई.......
- रोली
टूटा तो आवाज़ भी ना आई.......
- रोली
वो भावनाएं जो अभिव्यक्त नहीं हो पातीं वो शब्द जो ज़ुबाँ पे आने से कतराते हैं इन्द्रधनुष के वो रंग जो कैनवास पर तो उतर जाते हैं पर दिल में नहीं...वो विचार जो मस्तिष्क में उथल-पुथल मचाते हैं पर बाहर नहीं आ पाते... उन्हीं को अपनी रौशनाई में ढाल कर आवाज़ दी है शब्द दिए हैं...और इस ब्लॉग पर बिखेरा है..बस एक प्रयास है...कोशिश है..... मेरी ये.....आवाज़
Bas ek dil hi toh hai jiske tootne ki awaaz nahi aati...verna shor toh bahut hota hai...
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