मिजाज़-ए-मौसम भी
मिजाज़-ए-हुस्न से कुछ कम नहीं ,
कि आज पल-पल करवटें बदल रहा है ये.....
अभी खिली थी तीखी धूप यहाँ,
और अब बरसने को मचल रहा है ये.......

- रोली

Comments

  1. Mausam ke badalne ka andaz-e-bayan...Waah Waah

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

नन्हीं चिड़िया

जननि का महत्व

चिट्ठी ना कोई संदेश.…