हम-तुम ...पूरक हैं
हिंदी.......
एक दिन गया,
एक रात गयी,
तुम ये ना समझना,
बात गयी....
अब भूल जायेंगे हम तुम्हें
तुम तो बसी ह्रदय में ....
बच्चे की तुतलाहट में,
माँ की झुंझलाहट में,
पिता के प्यार में,
दादी के दुलार में,
विद्यालय की पढ़ाई में,
बहन की लड़ाई में......
प्रेमिका की मनुहार में,
प्रेमी से तकरार में....
मनमोहन के मौन में :)
और मोबाइल की रिंगटोन में :)
मेरे सपनो में...
मेरे अपनों में...
बस तुम ही तुम हो....तुम ही तुम हो....
- रोली...
संगीता दीदी.... धन्यवाद :)
ReplyDeletebahut hi achchha vishes roop se "मनमोहन के मौन में "
ReplyDelete:) धन्यवाद धर्मराज जी.......
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