दर्द-ए-दिल जां निकल जाने की हद तक हम सहते हैं....
अश्कों के कतरे दिल से निकल कर तब आँखों से बहते हैं....
यूँ तो बहुत रोका करते हैं अपने इन अश्कों को पलकों पर,
क्या करूँ मै कि ये भी हैं बड़े बेवफा तेरी तरह,
मेरा अफसाना सरेआम बयां करते हैं......
- रोली
अश्कों के कतरे दिल से निकल कर तब आँखों से बहते हैं....
यूँ तो बहुत रोका करते हैं अपने इन अश्कों को पलकों पर,
क्या करूँ मै कि ये भी हैं बड़े बेवफा तेरी तरह,
मेरा अफसाना सरेआम बयां करते हैं......
- रोली
Waah Waah...Dil ka dard...hayee...yahi dard to sab sehne ke liye mazboor karta hai..
ReplyDeleteशुक्रिया...... जनाब अपना नाम तो बताइए :)
DeleteRoli ji hum aapki shayari pasand karte hain aur aapke chaahne valo mein se ek hai...
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